नौकरियों और स्थायी आजीविका को पुनर्जीवित करने के लिए टेरी द्वारा प्रस्तावित ग्रीन स्टिमुलस
यह परिचर्चा पत्र उन छह क्षेत्रों पर ध्यान आकर्षित करता है जो अक्षय ऊर्जा के विकास में तेज़ी और हवा की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं।
नई दिल्ली, 24 अगस्त 2020: द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए 'ए फिस्कली रिस्पॉन्सिबल ग्रीन स्टिमुलस' नामक एक परिचर्चा पत्र जारी किया, जिसमें न्यूनतम सरकारी खर्च से रोज़गार और मांग पैदा की जा सकती है।
टेरी के महानिदेशक डॉ अजय माथुर ने कहा, "भारत के प्रोत्साहन पैकेजों का ध्यान कृषि और छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) क्षेत्रों में ऋण उपलब्धता को बढ़ाने पर रहा है ताकि आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जा सके और स्थायी रोजगार का सृजन किया जा सके। हम सुझाव देते हैं कि नीति और विनियामक उपायों का उपयोग, मांग बनाने के लिए इस तरह किया जाए किया जाए जो निजी निवेश को हरित उपायों की तरफ खींचे - इससे हरित अर्थव्यवस्था व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य हो जाएगी, और आर्थिक विकास, नौकरी में तेज़ी और पर्यावरण परिवर्तन होगा। "
रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव, श्री इंदु शेखर चतुर्वेदी ने कहा, "यह परिचर्चा पत्र स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर समग्र दृष्टिकोण पर बात करता है। यह उन क्षेत्रों में हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित करता है जो उपेक्षित हैं जैसे कि पशु, कृषि अपशिष्ट से ऊर्जा का उत्पादन करना। कुछ सिफारिशों पर पहले ही एमएनआरई द्वारा काम किया जा रहा है जैसे कि पीएम कुसुम योजना। हमें उम्मीद है कि एक ऐसा ढांचा होगा जहां घरेलू सौर विनिर्माण में गति आए। हमारे पास सरप्लस बायोमास से ऊर्जा पैदा करने की भी योजना है। "
अक्षय ऊर्जा पर, सचिव ने कहा, "पिछले 6 वर्षों में भारत की स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता 2.5 गुना बढ़ गई है। हालांकि, आरई बिजली उत्पादन में हमारा हिस्सा कुल उत्पादन का 12% या 1 / 10th है। आने वाले वर्षों में तेजी से तकनीकी परिवर्तन हमें अक्षय ऊर्जा लागत और ग्रिड में अक्षय ऊर्जा को एकीकृत करने से जुड़ी लागतों को कम करने में मदद करेंगे। "
टेरी के प्रतिष्ठित फेलो अजय शंकर ने कहा, "इस मोड़ पर राजकोषीय बाधाओं को पहचानना और अर्थव्यवस्था में एक मांग प्रोत्साहन की आवश्यकता पर चर्चा पत्र, विशिष्ट प्रस्तावों को शामिल करता है जो मुख्य रूप से नीति और नियामक साधनों पर निर्भर करते हैं। इन उपायों से अक्षय ऊर्जा के उपयोग में तेजी आएगी और वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा।"
टेरी द्वारा प्रस्तावित ग्रीन स्टिमुलस लगभग 40,00,000 करोड़ रुपए (या 540 बिलियन अमरीकी डालर) एक दशक के दौरान की बात करता है। श्री अजय शंकर ने कहा, "इस ग्रीन स्टिमुलस में प्रस्तावित निजी निवेश के लिए प्रारंभिक फाइनेंसिंग को सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेजों के भीतर समायोजित किया जा सकता है।"
स्टिमुलस के लिए प्रस्तावित कुछ सुझाव:
- स्वच्छ परिवहन को प्रोत्साहन देना (160,000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष की निवेश क्षमता)
मौजूदा वाहनों के बेड़े के आधुनिकीकरण के लिए बीएस- VI की तरफ मुड़ने के लिए सब्सिडी, इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग और सार्वजनिक परिवहन के लिए बसों का प्रावधान। - कृषि अवशेषों से नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन (22,470 करोड़ रुपए प्रति वर्ष की निवेश क्षमता)
फसल अपशिष्ट से बने ब्रिकेट्स के लिए अगले पांच वर्षों के लिए व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य खरीद मूल्य की घोषणा करें। - पशुपालन अपशिष्ट से नवीकरणीय ऊर्जा बनाना (88,000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष की निवेश क्षमता)
वितरण कंपनियों द्वारा पशुपालन अपशिष्ट (मवेशी, मुर्गी, सूअर, आदि से उत्सर्जन) से उत्पन्न बिजली की खरीद के लिए व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य फीड-इन टैरिफ को शामिल करना। - ग्रामीण भारत में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना (27,00,000 करोड़ रुपए की निवेश क्षमता)
वितरण कंपनियों द्वारा किलोवाट रेंज में ग्रामीण क्षेत्रों से उत्पन्न बिजली की खरीद के लिए व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य फीड-इन टैरिफ की घोषणा करें। - ग्रीन उपायों को अपनाने और प्रतिस्पर्धी बनने के लिए MSMEs को समर्थन देना (हर साल संभावित बचत 15,000 करोड़ रुपये)
सरकार द्वारा परिकल्पित प्रोत्साहन पैकेज का उपयोग, ऊर्जा दक्षता के माध्यम से प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए, एमएसएमई क्षेत्र में निवेश के लिए किया जा सकता है। इसमें ऊर्जा-अक्षम बॉयलरों, पंपों, मोटरों आदि का प्रतिस्थापन शामिल होगा। - सौर ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण के लिए घरेलू विनिर्माण क्षमता बनाना (2030 तक 2,94,000 करोड़ रुपए की निवेश क्षमता)
इस शर्त के साथ सौर ऊर्जा के भंडारण के लिए बोलियां आमंत्रित करें कि पूर्ण मूल्य संवर्धन के साथ विनिर्माण भारत में किया जाएगा।
डॉ रजत कथूरिया, निदेशक और मुख्य कार्यकारी, इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (ICRIER), ने कहा, “भारत नौकरियों और उत्पादकता के मामले में एक बड़े सामाजिक और मानवीय संकट का सामना कर रहा है। हमें टिकाऊ और हरित सुधारों को लागू करने के लिए इस अवसर को खोना नहीं चाहिए। हमें बड़े अनौपचारिक क्षेत्र के लिए सामाजिक सुरक्षा बनाने की जरूरत है। भारत को कार्बन मूल्य निर्धारण और फीड-इन टैरिफ जैसे उपायों के माध्यम से बाजार तंत्र और मूल्य संकेतों का अधिक उपयोग करने की आवश्यकता है। जहां भी निजी क्षेत्र अपनी भूमिका निभा सकते हैं उन्हें मौका देना चाहिए। "
टेरी के बारे में
द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट यानि टेरी एक स्वतंत्र, बहुआयामी संगठन है जो शोध, नीति, परामर्श और क्रियान्वयन में सक्षम है। संगठन ने लगभग बीते चार दशकों से भी अधिक समय से ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में संवाद शुरू करने और ठोस कदम उठाने का कार्य किया है।
संस्थान के शोध और शोध-आधारित समाधानों से उद्योगों और समुदायों पर परिवर्तनकारी असर पड़ा है। संस्थान का मुख्यालय नई दिल्ली में है और गुरुग्राम, बेंगलुरु, गुवाहाटी, मुंबई, पणजी और नैनीताल में इसके स्थानीय केंद्र और परिसर हैं जिसमें वैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों और इंजीनियरों की एक बहु अनुशासनात्मक टीम कार्यरत है।
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