NMCG और TERI जल पुन: उपयोग पर अपनी तरह का पहला उत्कृष्टता केंद्र लॉन्च करने के लिए एक साथ आए
नई दिल्ली, 24 दिसंबर: शुक्रवार, 24 दिसंबर को नई दिल्ली टेरी मुख्यालय में "द सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस ऑन वॉटर रीयूज़” को लॉन्च किया गया, जोकि अपनी तरह का देश का पहला सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस होगा। इसे नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी), जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार और द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (टेरी) के द्वारा लॉन्च किया गया।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE), NMCG, TERI, उद्योग भागीदारों और उद्योग प्रतिनिधि निकायों के बीच एक चतुर्भुज गठबंधन (quadripartite alliance) है। जिसकी शुरुआत गुरुग्राम के ग्वाल पहाड़ी में टेरी परिसर में होगी, जो गंगा नॉलेज सेंटर (GKC) के उद्देश्यों जैसे डिजाइन, और अनुसंधान और नवाचार, अनुसंधान के लिए ज्ञान अंतराल की पहचान और नए विचारों की आवश्यकता, लक्षित अनुसंधान का समर्थन, और कम लागत, प्रभावी और एकीकृत उपचार प्रौद्योगिकियों जैसे आवश्यक नवाचार को बढ़ावा देना और पोषण करना, जो वर्तमान उपचार अंतराल, क्षमता में वृद्धि करना और पुन: उपयोग के लिए सुरक्षित उपचारित जल को पूरा करेगा।
लॉन्च पर बोलते हुए, श्री राजीव रंजन मिश्रा, महानिदेशक, एनएमसीजी, जल शक्ति मंत्रालय, ने कहा, "उपचार के बाद अपशिष्ट जल का यथासंभव उपयोग किया जाना चाहिए। गंगा, या नदी या शहर की सफाई के पीछे विचार उन्हें लंबे समय तक टिकाऊ बनाना है; इसे अपशिष्ट जल के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे संसाधन के रूप में देखने की आवश्यकता है जिसका पुन: उपयोग किया जा सकता है।" श्री मिश्रा ने पानी के पुन: उपयोग को प्रभावी ढंग पर बोलते हुए अनुसंधान संस्थानों और उद्योगों सहित हितधारकों के साथ साझेदारी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, "हमें उन उद्योगों के साथ संवाद करने की आवश्यकता है जो अपशिष्ट जल उपचार के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उपचार संयंत्र स्थापित कर रहे हैं, पानी के पुन: उपयोग को बढ़ा रहे हैं और पुन: उपयोग के लिए सुरक्षित उपचारित पानी उपलब्ध करवाते हैं।"
टेरी की महानिदेशक डॉ विभा धवन ने अपने संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि अत्याधुनिक अनुसंधान का उद्देश्य बड़े समुदाय की मदद करना होना चाहिए। डॉ धवन ने कहा, "प्रयोगशाला में जो शोध रहता है वह बहुत कम उपयोग होता है, यह बताते हुए कि टेरी ने हमेशा उद्योगों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम किया है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्रोत पर अपशिष्ट जल का उपचार न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से, बल्कि एक स्थिरता उपाय के रूप में भी महत्वपूर्ण है।
डॉ एसके सरकार, विशिष्ट फेलो और वरिष्ठ निदेशक, वॉटर रिसोर्सेज डिवीजन, टेरी ने कहा, "पानी के पुन: उपयोग के लिए अपशिष्ट जल उपचार की पारंपरिक तकनीकों की सीमाएँ हैं। इस संबंध में एक नई तकनीकों की आवश्यकता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के, DST- जल मिशन, वॉटर टेक्नोलॉजी इनिशिएटिव (WTI) के तहत टेरी ने अपशिष्ट जल उपचार के लिए इस उद्देश्य के लिए TERI एडवांस्ड ऑक्सीडेशन टेक्नोलॉजी (TADOX®) विकसित की है। पानी के पुन: उपयोग पर टेरी में उत्कृष्टता केंद्र बनाकर एनएमसीजी की पहल से भारत के कई क्षेत्रों में इस तरह के नए तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलेगा।"
इस केंद्र का नेतृत्व डॉ नूपुर बहादुर, फेलो और क्षेत्र संयोजक, TADOX® टेक्नोलॉजी सेंटर फॉर वाटर रीयूज, वाटर रिसोर्सेज डिवीजन, टेरी द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह केंद्र एक विश्व स्तरीय संस्थान के रूप में उभरेगा जो उद्योगों और औद्योगिक समूहों, अपशिष्ट जल उपचार और जल पुन: उपयोग में अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों में शामिल विश्वविद्यालयों जैसे हितधारकों को लाभान्वित करेगा और साथ ही केंद्र और राज्य, शहरी स्थानीय निकाय को तकनीकी परामर्श, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करेगा।
टेरी के बारे में
द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट यानि टेरी एक स्वतंत्र, बहुआयामी संगठन है जो शोध, नीति, परामर्श और क्रियान्वयन में सक्षम है। संगठन ने लगभग बीते चार दशकों से भी अधिक समय से ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में संवाद शुरू करने और ठोस कदम उठाने का कार्य किया है।
संस्थान के शोध और शोध-आधारित समाधानों से उद्योगों और समुदायों पर परिवर्तनकारी असर पड़ा है। संस्थान का मुख्यालय नई दिल्ली में है और गुरुग्राम, बेंगलुरु, गुवाहाटी, मुंबई, पणजी और नैनीताल में इसके स्थानीय केंद्र और परिसर हैं जिसमें वैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों और इंजीनियरों की एक बहु अनुशासनात्मक टीम कार्यरत है।
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