भारत जलवायु प्रतिबद्धताओं पर खरे उतरने वाले देशों में शामिल है: प्रकाश जावडेकर
माननीय मंत्री ने यह संबोधन टेरी द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस, 2020 की पूर्व संध्या पर आयोजित वर्चुअल संवाद में दिया। इसमें यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, नॉर्वे ने भी भागीदारी की।
नई दिल्ली, 4 जून 2020: एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट ने 'कॉमन फ्यूचर: सेफ एंड सिक्योर एनवायरनमेंट फॉर ऑल' विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम को बतौर विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन (डब्ल्यूएसडीएस) 2021 के प्री-इवेंट के रूप में आयोजित किया गया। टेरी के प्रमुख कार्यक्रम डब्ल्यूएसडीएस का आयोजन अगले साल 10-12 फरवरी को नई दिल्ली में किया जाएगा।
भारत के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री माननीय श्री प्रकाश जावडेकर ने ऑनलाइन संवाद को संबोधित करते हुए वीडियो संदेश के ज़रिए कहा कि, "केवल 4% वर्षा जल संसाधनों और पूरी दुनिया के कुल भू भाग के 2.5 प्रतिशत वाले भारत का वैश्विक जैव विविधता में कुल योगदान 8 प्रतिशत है। भारत का आचार-व्यवहार प्रकृति के अनुकूल है और इससे प्रकृति के साथ तालमेल बैठाते हुए टिकाऊ जीवन शैली अपनाने में मदद मिलती है।
भारत अपनी कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीबीडी) के तहत लाभों को साझा और उन तक पहुंच सुनिश्चित करने के मामले में नागोया प्रोटोकॉल को स्वीकार कर चुका है और हम इसे जैविक विविधता क़ानून 2002 के तहत लागू भी कर रहे हैं। हम उन चुनिंदा देशों में शामिल है जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ काम करने के लिए राष्ट्रीय निर्धारित लक्ष्यों (एनडीसी) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहे हैं। भारत ने स्वेच्छा से एनडीसी के जरिए ऊर्जा और उत्सर्जन की मात्रा को कम करने और साथ-साथ 2.5-3 मीट्रिक टन कार्बन को अलग-थलग करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
उन्होंने आगे कहा, "मेरा दृढ़ विश्वास है कि अच्छी तरह से तैयार की गई जलवायु नीतियां आर्थिक सुधार में योगदान कर सकती हैं। समय अक्षय ऊर्जा में तेजी लाने के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता क्षेत्रों में हरित रोजगार सृजित करने का है। "
टेरी के महानिदेशक डॉ अजय माथुर ने कहा कि, "हमने एक ऐसे नए दायरे में कदम रखा है जहाँ हमारे लिए यह पूरी तरह से महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता हमारे सतत विकास के एजेंडे में सबसे ऊपर हो। कोविड-19 संकट ने सरकारों और व्यवसायों के लिए एक ऐसा अवसर पैदा किया है जहाँ से ग्रीन रिकवरी योजना की तरफ रुख किया जा सकता है और यह जलवायु परिवर्तन खिलाफ प्रगति का एक महत्वपूर्ण बिंदु है। आर्थिक सुधार की राह पर अब जलवायु प्राथमिकताओं की अनदेखी नहीं की जा सकती। "
इस ऑनलाइन संवाद का हिस्सा बनते हुए महामहिम यूगो एस्टुटो, भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत ने कहा कि हम इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस को एक निर्णायक क्षण में मना रहे हैं। कोविड-19 संकट बताता है कि हमें हमारे युवाओं के लिए एक बेहतर और स्वस्थ दुनिया में निवेश करने की ज़रूरत है। हमें उनमें उम्मीद जगानी चाहिए। विश्व को हरित, रेज़ीलिएंट और आगामी भविष्य के लिए मिलकर कदम उठाने होंगे।
भारत में नॉर्वे के राजदूत महामहिम मिस्टर हंस जैकब फ्राइडलंड ने कहा, "नॉर्वे एक दशक से अधिक समय तक वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट का भागीदार रहा है और मैं टेरी का आभारी हूं कि उन्होंने यह आयोजन किया है। वर्तमान में दुनिया एक विशाल लॉकडाउन का सामना कर रही है जिसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। दुनिया को एक बार फिर से पटरी पर लाना हमारी क्षमता और सस्टेनेबिलिटी के प्रति हमारी एक परीक्षा भी है। इसकी शुरुआत हरित, स्वच्छ, सर्कुलर और समावेशी होनी चाहिए।
हमारी वैज्ञानिक, तकनीकी और संस्थागत क्षमताओं के बीच के दौड़ रही है जिसमें हमने जीत भी हासिल की है। हमें इस जीत को अस्थायी खतरों में नहीं डालना चाहिए। हम भारत के साथ अपने सहयोग को महत्व देते हैं और नॉर्वे और भारत के बीच स्थिरता, जैव विविधता, पर्यावरण और आर्थिक विकास, अपशिष्ट प्रबंधन, समुद्री कूड़े, और अन्य क्षेत्रों में सहयोग की एक विस्तृत श्रृंखला है। "
भारत में कार्यरत ब्रिटिश उच्चायुक्त, जेन थॉम्पसन ने कहा कि, "अर्थव्यवस्थाओं और प्रकृति के साथ हमारे संबंधों का पुनर्निर्माण करने के लिए हम भारत सरकार और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ काम करने वाली संस्था टेरी के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इनके साथ मिलकर अपनी अर्थव्यवस्थाओं और प्रकृति के साथ हमारे संबंधों का पुनर्निर्माण करते हैं। COP26, नवंबर 2021 में यूके में आयोजित किया जाना है, यह एक ऐसा क्षण हो सकता है जब दुनिया स्वच्छ, प्रतिरोद्ध क्षमता के लिए एकजुट हो सकती है जो लोगों और ग्रह के लिए ज़रूरी है। "
लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर, इंडियन ऑब्जर्वेटरी एंड चेयर- ग्रन्थम रिसर्च इंस्टिट्यूट के सह-निदेशक निकोलस स्टर्न ने कहा कि कोविड संकट के बाद हमें चीजों को अलग तरीके से करने की आवश्यकता होगी। हमें गरीबी को कम करने और एसडीजी हासिल करने के लिए एक साथ रहना होगा। रिकवरी को स्थिरता के विचार के आसपास निर्मित करना होगा और उन उपायों को महत्व देना होगा जो तेज, श्रम गहन और आर्थिक गुणक हैं। इमारतों की रेट्रो-फिटिंग, ब्रॉडबैंड का फैलाव और छतों पर सौर ऊर्जा जैसे उपाय हम जल्दी से अपना सकते हैं, जो रोजगार पैदा करेगा। रिकवरी एजेंडा इतना मज़बूत हो जो स्थिरता के साथ साथ कर्ज में कमी लाए। हमें दुनिया में अपनी भूमिका निभाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की क्षमता बढ़ानी होगी और देशों को राष्ट्रीय निवेश बैंकों के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए। भारत 21 वीं सदी को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और यह नेतृत्व कर सकता है । "
सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट, एडीबी के डायरेक्टर जनरल मिस्टर वूचॉन्ग उम ने ज़ोर देकर कहा कि , " तीन वैश्विक चुनौतियों जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और कोविड-19 से उबरने के लिए हमें ऐसे रिकवरी पैकेज बनाने चाहिए जो समावेशी हो और सबके लिए और बेहतरी के लिए हो। "
दो दशकों से अधिक समय से, टेरी के द वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट (WSDS) ने पर्यावरणीय मुद्दों और जैव विविधता हानि जैसी चुनौतियों पर समाधान खोजने के लिए वैश्विक नेताओं और नीति निर्माताओं को एक साथ एक ही मंच पर लाने का काम किया है। और जैव विविधता इस बार विश्व पर्यावरण दिवस की थीम भी है। WSDS पर्यावरण और स्थिरता के सबसे सामयिक मुद्दों की पहचान करके भारत की योजनाओं, नीतियों, प्राथमिकताओं और कार्यों को दिखाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच रहा है।
इस मौक़े पर युवा जनसांख्यिकीय को भारत के भविष्य की कुंजी मानते हुए, TERI और WSDS ने 'यूथ यूनाइट फॉर ए सेफ एंड सिक्योर एनवायरनमेंट' पहल को लॉन्च भी किया। यह फोरम युवाओं को सतत विकास गतिविधियों में संलग्न करने के अवसरों का पता लगाएगा और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्मों जैसे डब्ल्यूएसडीएस पर उनकी आवाज़ का प्रतिनिधित्व करेगा। इस अवसर पर बोलते हुए, शम्भावी शर्मा (क्लस्टर इनोवेशन सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से मानविकी और सामाजिक विज्ञान में स्नातक की छात्रा), टेरी के युवा नेटवर्क की एक सदस्य ने कहा, "हमें वैश्विक स्तर पर प्रभाव पैदा करने के लिए स्थानीय मुद्दों के लिए मुखर होना होगा। हमें अपने नेटवर्क और कैंपस के ज़रिए सतत समाधान को बढ़ावा देने का मौका दें। इन जगहों पर नए विचार और नवाचार पनपते हैं। "
विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लगभग 1500 से अधिक प्रतिभागियों ने इस ऑनलाइन संवाद में भाग लिया।
टेरी के बारे में
एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट यानि टेरी एक स्वतंत्र, बहुआयामी संगठन है जो शोध, नीति, परामर्श और क्रियान्वयन में सक्षम है। संगठन ने लगभग बीते चार दशकों से भी अधिक समय से ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में संवाद शुरू करने और ठोस कदम उठाने का कार्य किया है।
संस्थान के शोध और शोध-आधारित समाधानों से उद्योगों और समुदायों पर परिवर्तनकारी असर पड़ा है। संस्थान का मुख्यालय नई दिल्ली में है और गुरुग्राम, बेंगलुरु, गुवाहाटी, मुंबई, पणजी और नैनीताल में इसके स्थानीय केंद्र और परिसर हैं जिसमें वैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों और इंजीनियरों की एक बहु अनुशासनात्मक टीम कार्यरत है।
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TERI – Dhawal Trivedi: dhawal.trivedi@teri.res.in
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