भारत में गवेषण एवं खनन: गहन खोज का समय
भारत में खनिजों के लिए सर्वाधिक भू-वैज्ञानिक संभावनाएं हैं। ऊपरी सतह अथवा उससे कुछ नीचे स्थित अधिकांश खनिज खोजे जा चुके हैं और गहराई में छिपे हुए खनिज निक्षेपण के लिए एक गहन खोज की आवश्यकता है। इसका अभिप्राय है नवीनतम प्रौद्योकियों के द्वारा सतत आधार पर गवेषण किए जाएं।
2015 में खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर अधिनियम) में आवंटन प्रक्रिया में विवेकाधिकार समाप्त करने और अधिक पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से संशोधन किया गया था। नीलामी पद्धति को रियायतें प्रदान करने का एकमात्र तरीका बनाया गया। 2016 में सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय खनिज गवेषण नीति (एनएमएपी) और उसके बाद, राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 बनायी गयी जिसमें कहा गया है कि गवेषण करने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और यह भी कि नीलामी के समय प्रथम अस्वीकृति के अधिकार के माध्यम से नीलामी तंत्र के दायरे के अंतर्गत निजी क्षेत्रीय निवेश के साथ साथ अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को आकर्षित करने के लिए गवेषण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।