सूरत, नई दिल्ली और अन्य शहरों में उपभोक्ताओं ने सोलर रूफटॉप को अपनाकर अपने बिजली के बिलों को कम किया है और साथ ही भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद की है।
सूरत के निवासी मनीष पटेल का कहना है कि उनका मासिक बिजली बिल 90 प्रतिशत तक कम हो गया है। उन्होंने 3.2 किलोवाट का सोलर पैनल छत पर स्थापित किया है। जिस पर 91,000 रुपये की लागत आयी और इसका जीवनकाल लगभग 25 वर्ष है। इसके लिए उन्हें केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से 30 प्रतिशत की सब्सिडी और गुजरात ऊर्जा विकास एजेंसी (GEDA) से 20,000 रुपये की वित्तीय सहायता भी मिली। मनीष पटेल को उम्मीद है कि जो धनराशि उन्होंने रूफटॉप सोलर को स्थापित करने में लगाई है वो चार साल के दौरान निकल सकती है।
सूरत में सौर ऊर्जा की मांग बढ़ रही है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। सूरत के एक अन्य निवासी दीपक पाटिल के बिजली बिल में लगभग 100 प्रतिशत की कमी आई है। दीपक का कहना है कि उनका सोलर पैनल वर्षा और ठण्ड के मौसम में भी व्यक्तिगत खपत के लिए पर्याप्त यूनिट्स बनाता है और फिर कुछ ग्रिड को भी दे दिया जाता है। इसे नेट मीटरिंग कहते हैं। नेट मीटरिंग में रूफटॉप सोलर प्लांट से बनाई हुई बिजली ग्रिड को भी बेची जा सकती है। इसमें सोलर प्लांट के साथ एक मीटर लगाया जाता है। यह मीटर डिस्कॉम के कनेक्शन से जुड़ा होता है। मीटर में सोलर प्लांट में बनने वाली बिजली, खपत कितनी हुई और कितनी बिजली उपभोक्ता ने डिस्कॉम से ली, इन सबका का हिसाब होता है। नेट मीटरिंग में उपभोक्ता का बिल तो कम होता ही है साथी ही अतिरिक्त बिजली को बेचकर कमाई भी की जा सकती है। गर्मी के महीनों में खपत इकाइयों में वृद्धि के कारण, दीपक को केवल रियायती बिल का भुगतान करना होता है।
शहर में सौर अभियान का नेतृत्व करने वाली एजेंसी सूरत नगर निगम में सहायक अभियंता, जिनेश पटेल ने बताया कि अब तक 6,000 से अधिक रूफटॉप सोलर संयंत्र स्थापित किए गए हैं जिसकी क्षमता लगभग 40 मेगावाट है।
सूरत: रूफटॉप सोलर की उपभोक्ता मांग को पूरा करने वाला पहला शहर
सूरत स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित है और इस स्मार्ट सिटी को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 10 प्रतिशत सौर ऊर्जा के माध्यम से पूरा करने की ज़रूरत है। 2016 की गर्मियों में, सूरत नगर निगम ने 'सिल्क सिटी' कहे जाने वाले सूरत में रूफटॉप सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) संयंत्रों को लोकप्रिय बनाने के लिए टेरी से संपर्क किया। सूरत में भारत के पहले शहर-व्यापी रूफटॉप सोलर डिमांड एग्रीगेशन अभियान की शुरुआत 22 सितंबर, 2016 को सौर विषुवत दिवस पर हुई थी।
टेरी में बिजली और ईंधन प्रभाग से जुड़े अलेख्या दत्ता का कहना है कि उनका उद्देश्य सौर बाजार के लिए बाधाओं को कम करना, टिकाऊ कार्यक्रम मॉडल को लागू करना, जनता के बीच सौर ऊर्जा के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना और उपभोक्ताओं तथा सोलर डेवलपर्स के बीच पारदर्शिता लाना था। वह आगे कहते हैं कि इस कार्यक्रम के लिए वेबसाइट भी बनाई गई ताकि लोग आसानी से सभी ज़रूरी जानकारी प्राप्त कर सकें और रूफटॉप सोलर पैनल स्थापित करने के लिए साइन अप कर सकें। उन्होंने रेडियो, सार्वजनिक होर्डिंग्स, 22 भाषाओं में वीडियो संदेश और स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यमों से व्यापक जागरूकता अभियान शुरू किया।
टेरी और सूरत नगर निगम ने 200 सोलर फ्रेंड्स में से तीन सोलर फ्रेंड्स जयेश सोलंकी, प्रतीक पारेख और विशाल पाटिल को चुना। ये सोलर फ्रेंड्स 50 वॉर्ड्स में गए और वहां के निवासियों को उन्होंने पैम्फलेट तथा गाइडबुक के ज़रिए रूफटॉप सोलर पैनल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।
जयेश सोलंकी कहते हैं कि शहर में सोलर पैनल्स के बारे में जागरूकता फ़ैलाने से पहले उन्होंने सेमिनार और वर्कशॉप के ज़रिए नवीकरणीय ऊर्जा पर खुद की जानकारी बढ़ाई। जयेश के साथी प्रतीक पारेख कहते हैं कि डोर-टू-डोर कैंपेन से लेकर सामुदायिक सेमिनार तक सबसे उन्होंने संपर्क किया और लोगों को बताया कि कैसे रूफटॉप सोलर सिस्टम लोगों के लिए आर्थिक और पर्यावरण तौर पर फायदेमंद है। वहीं विशाल का कहना है कि उन्हें गर्व है कि उन्होंने मांग एकत्रीकरण पहल में अच्छा प्रदर्शन किया है और उनके समुदाय के कई लोगों ने रूफटॉप सोलर सिस्टम को अपनाया है।
फिलहाल सूरत नगर निगम 118.9 मेगावाट का उत्पादन कर रहा है और यह उत्पादन सभी नवीकरणीय स्रोत से बनने वाली कुल बिजली मांग का लगभग 34 प्रतिशत है। सूरत का प्राचीन नाम सूर्यपुर था। सिविक बॉडी अपने प्रयासों से इस नाम को सच साबित कर रही है। सूरत नगर निगम रूफटॉप सोलर पैनल्स को पूरे शहर में बढ़ावा दे रही है।
स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सूरत नगर निगम ने वाणिज्यिक और औद्योगिक (सी एंड आई) क्षेत्रों को लक्षित किया है। इसका लक्ष्य 250 से अधिक स्कूलों को मॉडल स्कूलों में परिवर्तित करना और सूरत में नवीकरणीय ऊर्जा नॉलेज सेंटर को विकसित करना है।
नई दिल्ली में आरडब्ल्यूए ने रूफटॉप सोलर को अपनाया
नई दिल्ली में द्वारका में कालका सीजीएचएस अपार्टमेंट के सचिव एमपी विद्याधरन बताते हैं कि जुलाई 2018 में रूफटॉप सोलर पैनल्स स्थापित करने के बाद से उनकी सोसाइटी ने बिजली बिल में लगभग 40,000 रुपये प्रति माह की बचत की है। वे अपनी सोसाइटी में कॉमन एरिया में रौशनी के लिए सौर ऊर्जा पैनल से उत्पन्न बिजली का उपयोग करते हैं।
द्वारका में इस्पातिका अपार्टमेंट्स के सचिव अभय आनंद का कहना है कि, "नेट मीटरिंग की वजह से उनकी सोसाइटी के 195 फ्लैटों का मासिक औसत बिल लगभग 25 % तक कम हो गया है! अभय बताते हैं जब धूप ज़्यादा होती है तो वे सौर ऊर्जा/पैनल से पैदा हुई बिजली को वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को भी बेच सकते हैं!"
रूफटॉप सोलर एक ऐसी टेक्नोलॉजी के रूप में हमारे सामने आया है जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है! इससे कोयला आधारित बिजली पर निर्भरता काफ़ी कम हो सकती है। रूफटॉप सोलर अपनाने की ख़ुशी अभय आनंद की आवाज़ में झलकती है। अभय कहते हैं कि ''सौर ऊर्जा जैसी प्राकृतिक सम्पदा का इस्तेमाल करना एक शानदार विचार है और इससे पर्यावरण को भी फ़ायदा पहुँचता है"।
टेरी ने 2018 की शुरुआत में द्वारका (दक्षिण पश्चिम दिल्ली) में बड़े पैमाने पर जागरूकता और मांग एकत्रीकरण कार्यक्रम पूरा किया। यह सामूहिक प्रयास कई आवासीय सोसाइटी के बीच सौर ऊर्जा की क्षमता को जानने और प्रतिस्पर्धी कीमत हासिल करने का बेहतरीन तरीका था।
बड़े पैमाने पर सोलर सिस्टम लगाने से बहुत सारे लोग इससे जुड़े और साथ ही लेन देन की लागत में भी कमी आई। द्वारका के सौरीकरण यानी यहां सोलर सिस्टम स्थापित करने का काम टेरी ने BRPL (BSES राजधानी पावर लिमिटेड) और GIZ के सहयोग से किया था
कॉलेज छात्रों की मदद से ज़मीनी स्तर पर लगातार 6 सप्ताहांत अभियान चलाया गया। इस दौरान नाटकों और बातचीत के ज़रिए वॉलंटियर्स के समूह ने डिस्कॉम के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर 100 से अधिक आवासीय सोसाइटीज को वेबसाइट पर रजिस्टर करने के लिए राज़ी किया। वर्तमान में, द्वारका में परियोजना की क्षमता लगभग 30 मेगावाट है।
बीआरपीएल में वर्तमान अतिरिक्त उपाध्यक्ष (सिस्टम ऑपरेशंस) और हेड ( रिन्यूएबल) अभिषेक रंजन कहते हैं कि "बिजली उत्पादन के वैकल्पिक स्रोत जैसे रूफटॉप सोलर हम सबके लिए बहुत फायदेमंद है! जैसे नेटवर्क कंजेशन/ओवरलोडिंग से राहत मिलना और उपभोक्ता को कम लागत वाली ग्रीन पावर सप्लाई। इतना ही नहीं रूफटॉप सोलर पैनल्स से मिलने वाली बिजली हमें नेटवर्क प्लानिंग में मदद करती है जिसका लाभ अंततः वार्षिक राजस्व के माध्यम से आवासीय सोसाइटी को मिल जाता है।"
I-SMART-टेरी और कैडमस रूफटॉप सोलर का बड़ा अभियान
द इंडियन सोलर मार्किट एग्रीगेशन फॉर रूफटॉप्स(I-SMART), GIZ तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) - का संयुक्त प्रायोजित कार्यक्रम है! इसका संचालन Cadmus और TERI की प्रोजेक्ट टीम द्वारा किया जा रहा है! इसका उद्देश्य भारत में मांग एकत्रीकरण का इस्तेमाल करके सोलर रूफटॉप के बाज़ार को आगे बढ़ाना है। मुख्य रुप से इस परियोजना का लक्ष्य ग्राहक अधिग्रहण लागत को कम करना और इसे अपनाने में आने वाली बाधाओं को कम करके रूफटॉप सौर सिस्टम के लिए प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण करना है।
आई-स्मार्ट परियोजना के सह-प्रबंधक आनंद उपाध्याय का कहना है, "सूरत और द्वारका के अनुभव ने उनकी प्रचार रणनीति को निखारने में मदद की है। सौर ऊर्जा अपनाने के लिए व्यक्तियों और व्यवसायियों के बीच जागरूकता पैदा करना वास्तव में सौर प्रणालियों की स्थापना को बहुत आगे तक ले जा सकता है। उपभोक्ता, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई गई पूंजी सब्सिडी योजनाओं का लाभ भी ले सकते हैं।
1,000 मेगावाट की लक्षित मांग की बिजली पैदा करने के उद्देश्य को लेकर परियोजना टीम ने जम्मू और कश्मीर, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दमन और दीव तथा दादरा और नागर हवेली में सोलर रूफटॉप्स की क्षमताआों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है। परियोजना टीम आवासीय, सरकार, वाणिज्यिक और औद्योगिक (C & I) क्षेत्रों में पहुँच के ज़रिए चौतरफ़ा मांग एकत्रीकरण गतिविधियों को लागू कर रही है।
आनंद बताते हैं कि, "पिछले उपक्रमों में पारंपरिक और डिजिटल पहुंच को समझने के बाद, I-SMART टीम बड़े पैमाने पर कॉलेज के छात्रों को वॉलंटियर्स और कॉर्डिनेटर्स के रूप में भर्ती कर रही है! इससे लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ज़मीनी स्तर पर व्यापक अभियान चलाया जा सकेगा। रूफटॉप सोलर के लिए इच्छुक लोगों को I-SMART की वेबसाइट पर केवल रजिस्टर करना होगा और इसके बाद की शेष प्रक्रिया को हम सुविधाजनक तरीके से पूरा करेंगे।
छत पर सोलर सिस्टम: असीमित क्षमताएं
रूफटॉप फोटोवोल्टिक (पीवी) सोलर पैनल से बिजली पैदा करने वाला पावर स्टेशन है जो किसी भी आवासीय या व्यावसायिक इमारत की छत पर स्थापित किया जा सकता है। रूफटॉप सोलर सिस्टम बिजली ना होने या पावर ओवरलोडिंग के समय उपभोक्ता की ऊर्जा निर्भरता को बढ़ावा देता है।
जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक स्तर पर चर्चा हो रही है और यह माना जा रहा है कि विकाशील देशों की ऊर्जा मांग और खपत बढ़ेगी, इसमें भारत भी शामिल है। ऐसे में बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों के लिए रूफटॉप सोलर सिस्टम जैसी नवीकरणीय प्रौद्योगिकी को उपभोक्ताओं के बीच बढ़ावा मिलना चाहिए
2022 तक रूफटॉप सोलर से भारत के 40 GW बिजली उत्पादन के लक्ष्य में से अब तक, आवासीय क्षेत्र ने केवल 3.85 GW का योगदान दिया है। हमारे सामने सूरत और द्वारका दो ऐसे नाम हैं जिन्होंने इस क्षेत्र में उदाहरण प्रस्तुत किया है! यदि आवासीय उपभोक्ताओं को सूचित किया जाता है, उनकी मदद की जाती है और उनका समर्थन किया जाता है, तो हम मान सकते हैं कि, भारत में अधिक से अधिक लोग आने वाले समय में सौर ऊर्जा की महत्ता को समझेंगे और उसे अपनाएंगे।